Nazariya Bura ho to Sab bura hi dekhta hai, Nazariye ki baat hai Ek chor ko Raja bhi chor hi dekhta hai
Waise hi ek Sajjan ko Sab Sajjan hi dekhte hai bhale hi koi dakku kyu na ho
Insan logo ko khud ki Nazar se dekhta hai insaan Jaisa wo khud sochta hai Samne wale ko bhi waise hi samjhe lagta hai bina uske bare me jane use apne jaisa samjh leta hai ish liya kahte hai kud badlo agar Duniya Dadlni Hai
चलो मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ एक चोर और संत की
एक गॉव में एक चोर और एक महात्मा थे ,चोर अपनी परिवार के साथ गॉव में रहता था और संत एक पेड़ के निचे हमेशा भगवान की भक्ति में मस्त रहता था चोर रोज चोरी कर के गॉव में जाते समय संत के पास से हो कर जाता था और संत को कहता था आप इस दुनिया में भी सब को अच्छी नजर से कैसे देखते हो जहा सब चोर है संत चोर की बाते सुन मुस्कुरा देहते थे, ये चोर को समझ नहीं आती थी और वो चोरी का सामान बेच कर अपने घर का सामान खरीद लेता था और अपने घर आ जाता था उसी सामन से वो अपने परिवार का पेठ पालता था चोरी करने के कारन उसे सब चोर लगते थे क्युकी उसका धयान हमेशा चोरी में ही रहता था इसलिए उसे सारी दुनिया चोर ही दिखती थी एक दिन उसे गॉव में चोरी करते समे कुस लोगो ने देख लिया और उसे पकड़ के राजा के पास ले गए और उसे राजा की सभा में सब के सामने खड़ा कर दिया, राजा सभा में सबकि बात सुनी और राजा ने चोर से पूछा बोलो तुम चोरी क्यों की तो चोर बोला सरकार में चोरी कर के अपने घर वालो का पालन पोषण करता हूँ मैं अगर की नहीं करूँगा तो खाऊंगा कैसे और वेसे भी सभा में बैठे सब ही चोर है अंतर इतना ही की मेरी चोरी पकड़ी गयी ! और आप सब की नही, ये सुनकर सभा में बैठे लोग गुस्से में आ कर राजा से बोलने लगे सरकार ये कर अपनी गलती छुपाने के लिए हम सब को चोर बुला रहा है ये सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आता है और वो चोर को अपने राज़्ये से निकलने है आदेश देह देता है , चोर राजा से कहता है अगर मैं चोरी करता हूँ तो मेरा परिवार उसी से अपना पेट भरता है तो मेरा साथ साथ मेरा परिवार को दोषी है उन्हें भी वो ही सजा मिलनी चाहिए जो मुझे मिली ये सुन कर राजा चोर के परिवार को सभा में बुलता है और चोर का परिवार सभा में आ जाता है राजा चोर के परिवार को सजा सुनाता है इतने में चोर की पत्नी बोलती है सरकार इनकी गलती की सजा हमें क्यों मिल रही है परिवार का पालन करना इनका कर्त्तवय है और हमने तो नहीं कहा कभी इन्हे चोरी करने को इन्हे जो अच्छा वो ये करते थे , राजा चोर के परिवार की बातो से सहमत था तो वो चोर को राज्ये से निकालने का आदेश देह देता है और चोर के परिवार को कुस पैसे देह देता है ताकि वो अहराम से अपना गुजरा कर सके ,
चोर घर से जा रहा होता है तो गॉव के बहार जो संत बैठा होता है वो इसे बुलाते है और पूछते है बेटा क्या हुआ आज कहा जा रहे हो चोरी करने तो चोर कहता है अब किस के लिए चोरी करू जिन के लिये चोरी करता था आज उन्हों ने मुझे पराया कर दिया, लेकिन इस दुनिया में जहा सब चोर है वहा मैं चोरी के अल्वा क्या करू , चोर की बात सुन के संत बोलते है बेटा ये तो सब अपनी नजर की बात है जिसकी जैसी नज़र होती है उसे दुनिया वैसी ही देखती है अभ चोर हो तो तुमे सब चोर लगते है और मैं एक सन्यासी जो सब को भगवन के बच्चो के रूप में देखता हूँ इसलिए मुझे अच्छे लगते है ये बात सुन के चोर भी सन्यासी बन जाता है और संत के साथ भगवन की भग्क्ति में लग जाता है , और कुस समये बाद उसका नजरिया भी बदल जाता है दुनिया को देखने का
इसलिए कहते है खुद के नज़रिये को बदलो दुनिया अपने आप बदल जाएगी
Nice inspirational short story
ReplyDeleteThank you ji
Deletei love it very deep touching story....Yeh btaati hai logo ka nazariya someone positive someone negative
ReplyDeleteBilkul sahi khaha ji
DeleteThanks Nisha
ReplyDeleteबिल्कुल सही लिखा है आपने
ReplyDeleteDeep meaning... Great thought
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