नमस्कार दोस्तों में एक बार फिर मे आपका स्वागत करता हूँ अपनी इस लव स्टोरी पे जहा आपको अनोखी लव स्टोरी पढ़ने को मिलेगी पिछली कहानी में आप सब का बहुत सारा प्यार मिला जिस के लिया आप सब का दिल से धन्यवाद चलो अभ कहानी सुरु करते है
पिछली कहानी में आप सब ने पढ़ा की सब फिर से पुराने दोस्त की तरह बन जाते है और सब पार्टी को खुब एन्जॉय करते है और अपने अपने घरआ जाते है और कुस दिनों बाद सब अपने एग्जाम देते है और कुस दिनों बाद एग्जाम के का रिजल्ट आ जाता है और प्रिया और महेश क्लास में टॉप करते है बाकि सब भी अचे नंबरो से पास हो जाहते है बस सोनू कुस नंबरो से फ़ैल हो जाता है और उधर प्रिय और महेश के कॉलेज में टॉप करने के कारन उन्हें लंदन में आगे पढ़ने के लिया कॉलेज की तरफ से स्कॉलरशिप मिलती है जिस से ये दोनों बहुत खुश होते है लकिन सोनू फ़ैल होने के कारन बहुत दुखी होता है सब अपने अपने घर आ जाते है और प्रिया घर पे आ कर घरवालों को अपने लंदन जाने की बात बताती है वो दोनों बहुत्त खुश होते है और कहते है बेटी तुम्हे सेठ जी का धन्यवाद् करना चाहिए जिनकी वजे से इतना बड़ा मौका मिला ,प्रिया कहती है ठीक है माँ मैं तोड़ी देर मे जाती हूँ उधर सेठ जी सोनू पे बहुत गुस्सा होते है फ़ैल होने पे और सोनू को कहते है तू बस अब अपने व्यपार को चला बहुत कर ली पढ़ाई तूने इधर प्रिया सेठ जी से आशीर्वाद लेने आती है जिसे देख कर सेठ जी बहुत खुश होते है और कहते है बेटी तूने तो मेरा नाम रोशन कर दिया ,प्रिया सेठ जी से आशीर्वाद लेती है और कहती है सेठ जी मुझे कॉलेज की तरफ से लंदन में डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करने का मौका मिल रहा है सेठ जी ये बात सुन के बहुत खुश होते है और कहते है जा बेटी तू लंदन जा अगर किसी चीज़ की जरुरत पड़े तो मांग लेना और पूछते है कब की फ्लाइट है तुम्हारी तो प्रिया कहती है सेठ जी 7 दिन बाद दिल्ली से है तो सेठ जी कहते है वो मैं खुद तुम्हे दिल्ली छोड़ने जाऊंगा तुम तैयारी करो जाने की ये सुन कर प्रिया बहुत खुश होती है अपने घर आ जाती और जाने की तयारी में लग जाती है उधर महेश अपने घर बिहार पहुँचता है जहा उसकी माँ और उसके भाई बहन उसे देख कर बहुत खुश होते है महेश अपनी माँ और अपने भाई बहन से मिलता है और बहुत खुश होता है तोहड़ी देरने के बाद महेश बता है की उसने कॉलेज में टॉप किया है और उसे कॉलेज की तरफ से लन्दन पढ़ने जाने का मौका मिल रहा है लकिन मैं आप सब को छोड़ कर नहीं जाना चाहता तो महेश की माँ बोलती है बीटा तू जा तू अगर अच्छा पढ़ लिख जाये तो अपने भाई बहन को भी अच्छी जिंदगी दे सकेगा महेश माँ के बार बार कहने पर हां कर देहता है और जाने की तैयारी में लग जाता है एक दो दिन बाद अचनाक महेश की माँ की तबियत ख़राब हो जाती है महेश अपनी माँ को पास के सरकारी हॉस्पिटल में ले जाता है वह जाके उसे भाई ने बताया की माँ दमा की मरीज़ है और उसका इलाज चल रहा था, अस्प्ताल में डॉक्टरों की कमी होने के कारण महेश की मा की तबियत जायदा खराब हो जाती है महेश अपनी माँ को शहर में अच्छे डॉक्टर के पास ले कर जा रहा होता की रस्ते में ही उसकी माँ का निर्धन हो जाता है माँ के जाने के बाद उसे भाई बहन की जिमीदारी उसके कंधो पे आ जाती है इसलिए वो लन्दन जाने के लिया मना कर देता है महेश के मना करने के बाद कॉलेज वाले निशा को लन्दन जाने के लिया मौका देते है क्युकी निशा भी क्लास में 2nd आयी थी, निशा ये बात सुन कर बहुत खुश होती है और लन्दन जाने के लिया हां कर देती है वो लन्दन जाने की तयारी में लग जाती है सेठ जी अपनी पत्नी के सात अपनी गाड़ी में प्रिया को एयरपोट के लिया निकल जाते है इधर निशा भी अपने पिता जी के साथ एयरपोट के लिए निकल जाती है दोनों एयरपोट पे मिलते है और निशा को देख कर प्रिया पूछती है महेश कहा है वो भी तो लन्दन जा रहा था तो निशा महेश के बारे में बताती है और ये दोनों लन्दन पढ़ने के लिया निकल जाते है सेठ जी और सुऔर खुददेश एक दूसरे से मिलते है
खूब बाते करते है और तोड़ी देर बाद दोनों अपने घर के लिया निकल जाते है सेठ जी और उनकी पत्नी का घर जाते समय कार एक्सीडेंट हो जाता है और दोनों का निर्धन हो गया, अपने पिता की मोत की खबर सुन के सोनू पागल सा हो गया और उधर सेठ जी की फैक्ट्री में काम करना वाला उनके मैनेजर धोके से सेठ जी की सारी जमीं जयादा नाम करवा ली थी जिस के कारन सोनू के पास अभ कुस नहीं होता और वो बिलकुल गरीब हो जाता है और पेरशान रहता था इधर उसे उसके घर से भी निकल देते है ये देख कर गोपाल सोनू को अपने घर ले आता है
काई दिन बीत जाते है सोनू को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती कई दिन ढूंढने के बाद वो एक बीड़ी के फैक्ट्री में मजदूरी करने लगा उधर महेश की माँ के जाने के बाद उसके भहै और बहन की जिम्मेदारी भी उस पे आ गयी इस लिया वो भी कोई छोटी मोटी नौकरी देखने लगा कई दिन नौकरी न मिलने के कारन वो अपने भाई साथ कानपूर आ गया और एक छोटे से किराये के कमरे में रहने लगा ,और कुश दिनों बाद उसे भी उसी बीड़ी की फैक्ट्री मे supervisor की नौकरी मिल गयी जहा वो सोनू से मिला और उसे मजदूरी करते देख हैरान हो गया और उसे से पूछने लगा ये कैसे हुआ तो सोनू अपनी पूरी काहनी बताता है सोनू भी महेश से उस के बारे में पूछता है की वो यहा कैसे आया महेश भी अपनी पूरी कहानी बताता है और दोनों अपने काम में लग जाते है शाम को छुटी के बाद सोनू महेश साथ अपने घर ले जाता है और प्रिया के माता और पिता से मिलवाता है महेश सब से मिलता है और सोनू और प्रिया के घर वालो कहने पर अपने भाई और बहन को भी वही ले आता है सब एक साथ रहने लगते है उधर मनीसा और दीपक दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपनी MBA की पढ़ाई पुरी कर रहे होते है दोनों में प्यार हो जाता है और उनके घरवाले इनका रिस्ता तय कर देते है उनकी शादी कर देते है इधर प्रिया और निशा के वापस आने का समय हो जाता है और सोनू को प्रिया को लेने दिल्ली एयरपोर्ट के लिए निकल जाता है प्रिया और निशा दिल्ली आ जाते है वहा सोनू को देख कर प्रिया सोनू से पूछती है सेठ जी कहा है वो नही आये मुझे लेने सोनू कहता है तुम चलो मैं तुमे रास्ते में बताता हूँ निशा भी अपने पिता जी के साथ अपने घर के लिया निकल जाती है सोनू प्रिय को बताता है की कैसे उसे छोड़ के वापस जाते समय उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया और वो अब इस दुनिया में नहीं है और कैसे उनके मैनेजर ने उनकी सारी चीज़े अपने नाम करवा ली और ये कानपूर आ जाते है और प्रिया अपने माता और पिता से मिली और खूब बाते की शाम को जब महेश को घर वापस आया तो प्रिया महेश को देख कर चौक गयी और पूसने लगी तुम यहाँ कैसे तो महेश अपनी कहानी बताता है और दिन बीत जाता है सोनू से प्रिया बात करती है और कहती है की सेठ जी ने मेरे नाम १० लाख कर रखे थे हॉस्पिटल बनाने के लिया तुम चाहो तो इसे रख लो और अपना कुस काम कर लो मुझे अच्छा नहीं लगता की आप इस तरह मज़दूरी करो तो सोनू प्रिया से कहता है की तुम इन पैसो का हॉस्पिटल ही बनो मैं वो तुम्हारा सपना था जिसके लिये तुमने बहुत मेहनत की है प्रिया सोनू के बार बार कहने के बाद वो कहती है ठीक है और एक छोटा सा क्लिनिक खोल के लोगो की सेवा करने लगी और हॉस्पिटल बनाने के लिया तैयारी करने लगी निशा भी प्रिया की मदत करने के लिया कानपूर आ जाती है और प्रिया और निशा साथ में क्लिनिक में काम करने लगती है और हॉस्पिटल बनाने में उसकी मदत करने लगती है और इस तरह एक साल बीत जाता है और हॉस्पिटल बन के तैयार हो जाता है प्रिया सोनू महेश और निशा सब मिल कर लोगो की सेवा करते है और कुस समय बाद प्रिया कि सोनू से और निशा कि महेश से शादी हो जाती है और सब हसी खुशी जीवन जीते है
इतनी मुस्किलो मे भी देखो किस तरह प्रिया ने अपना सपना पूरा करा !
अगर आपको प्रिया की कहानी अच्छी लगे तो मुझे COMMENT कर के जरूर बताये
Nice
ReplyDeleteThanks mam
DeleteBahut khoob ending is good
ReplyDeleteThanks Neelam ji
DeleteNice story inspirational....
ReplyDeleteWOW 👌
ReplyDeleteImpressive
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